Wednesday 1 May 2013

अदालत के फैसले को बहुत ही सीधे और सरल भाषा में आम जनता को समझाने का प्रयास------ ४५ मिनट की एक 'डाक्यूमेंट्री फिल्म '

एक प्रयास ---------Tuesday, April 10, 2012 
४५ मिनट की एक 'डाक्यूमेंट्री फिल्म ' --------- ' राम मंदिर अदालत और आस्था 
आस्था ही नहीं साक्ष्यों के आधार पर हुआ था फैसला ....................
माँ और बेटे ने जोधा अकबर देखी ....एक महान राजा 'अकबर' .......बेटे को यही समझ आया ......
अचानक बेटे ने नन्हा प्रश्न माँ की और उछाल दिया माँ ..'क्या भारत में कोई हिन्दू राजा नहीं था जो अकबर जैसा महान हो' ........??????????
अब माँ की बारी थी ........बेटे के सवाल ने झकझोर दिया और उन्होंने इरादा मज़बूत किया कि सिर्फ बेटे को ही नहीं बल्कि सारे समाज को ,भारत को, और दुनिया को बतायेंगी कि था एक ऐसा 'राजा' ---------------- 'राजा राम ' ............
सोचा अदालत का 'आठ हज़ार पन्नो का फैसला' पढ़ना और समझना हर किसी के बस की बात नहीं ............!!!
उन्होंने समस्त साक्ष्य के आधार पर ......समस्त दस्तावेजों के मद्दे नज़र ४५ मिनट की एक 'डाक्यूमेंट्री फिल्म ' बना डाली जो
साम्प्रदायिकता से हट कर सिर्फ साक्ष्य बताती है ......
फिल्म का नाम है .... ' राम मंदिर अदालत और आस्था .....
और समर्थन करती है 'राम लला' की 'जन्म भूमि' का ............
अनेक साधु-संतों ...मौलवियों का.... 'अनेक मुस्लिम पक्षकारों के साक्षात्कार हैं ....................
खुदाई में मिले अवशेषों का ज़िक्र है .......वहां खुदाई के समय आधे मजदूर मुस्लिम और आधे हिन्दू थे ..........
साधारण बात कहें तो ---------------------------------------
उन्होंने अदालत के फैसले को बहुत ही सीधे और सरल भाषा में आम जनता को समझाने का प्रयास किया है 
ये माँ हैं ...."अनघा घैसास "....और ४५ मिनट की ये फिल्म ' राम मंदिर अदालत और आस्था "बनायी गयी है ....."क्रियेशन एंटरटेनमेंट" पुणे के बैनर तले ........मिलती है तो देखना बनता है भाई .......

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