Saturday 8 June 2013

गुड्डी के लाल

एक प्रयास ---------
सीबीएसई आज के दौर में जगह -जगह पाँव पसार गया है लेकिन पहले इस संस्था से कम और अपने -अपने राज्यों के बोर्ड से परीक्षार्थी ज़्यादा संख्या में परीक्षा देते थे






विभिन्न आय ने समाज में हर स्थान पर सबकी सीमा निश्चित  कर दी है
अभिजात्य वर्ग की प्रतिभाएं अनेक सुख -सुविधाओं के बीच अपना स्वप्न पूर्ण करती हैं , अति आधुनिक शिक्षा संस्थान उनकी प्रतिभा में चार चाँद लगा देते हैं और कई प्रतिभाएं विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए चली जाती हैं तो कई देश के ही नामी-गिरामी संस्थाओं में प्रवेश पा भविष्य के सपने बुनते हैं


वहीँ एक वर्ग ऐसा है जो रोज़ नयी समस्याओं से जूझता , जिंदगी के नए चेहरे से दो -चार होता तंग हाली में जीता है लेकिन उनकी आँखों में बसे सपने कहीं अलग नही होते और उनका प्रयास रहता है उनके नौनिहालों के सपने रंग विहीन ना हो जाए या उनके सपनो का रंग फीका ना पड जाए

जो कमी धन के अभाव में रह जाती है वो उसे अपने मज़बूत मनोबल से, अपनी एकजुटता से  पूरा करने का प्रयास करते हैं | यही कारण है कि यदि सीबीएसई अभिजात्य वर्ग की प्रतिभाओं को सामने लाती है उनके सपनो को उड़ान देती है तो राज्य की बोर्ड परीक्षाएं अभावों में जीती अनेक प्रतिभाओं को सामने ला खड़ी करती हैं

जो विपरीत परिस्थितियों में भाग्य से लड़ कर अपना दबदबा बनाते हैं और नाम कमाते हैं , 
अमीर घराने का बच्चा यदि प्रतिभाशाली है तो उसे निखारने के लिए अनेक सुविधाएं बहुत सा समर्थन मिल जाता है हालांकि उसके परिश्रम को कम नही आँक सकते 


लेकिन यदि अभावों से जूझता बच्चा अपने परिश्रम मात्र से ही उनके समकक्ष खडा दिखाई दे तो कहना होगा कि माना -------------
पास्ता , पीजा और ठंडा कोक स्वादिष्ट लगते है ---स्वाद में बदलाव लाते हैं ,जीभ को भाते हैं ,
परन्तु दलिया , भुने चने और सत्तू की ठंडाई आज भी जीभ को उतना ही लपलपाते हैं .........
जय भारत ,जय भारत की प्रतिभाएं 



2 comments:

  1. बहुत ही सही कहा आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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    1. राम -राम ताऊ
      आभार आपका

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